Saturday, May 16, 2015

46 आज हर आदमी लाचार

आज हर आदमी, लाचार मिलेगा तुमको,
बस यही एक, समाचार मिलेगा तुमको॥
 
गुंडे बेखौफ हो, हर ओर घूमते-फिरते,
नेक हर ओर, गिरफ्तार मिलेगा तुमको॥
 
अब तो ईमान, अछूतों की तरह लगता है,
देह पे सजता, भ्रष्टाचार मिलेगा तुमको॥
 
छल, कपट, ढोंग को, हुशियार कहा जाता है,
कमअक्ल आज, सदाचार मिलेगा तुमको॥
 
आज संबंधों में, वो बात कहाँ मिलती है,
टूटते शीशे सा, परिवार मिलेगा तुमको॥
 
हमने नैतिकता की, परिभाषा बदल डाली है,
आज व्यभिचार न, व्यभिचार मिलेगा तुमको॥
 
सभ्य अब जिस्मों की, दूकान सजाये बैठे,
फल रहा देह का, व्यापार मिलेगा तुमको॥
 
आज हर ओर, समझौते की हवा चलती है,
अब कोई कैसे, खुद्दार मिलेगा तुमको॥
 
लाख बाधाओं के, जो सच पे चला करता है,
आदमी वो ही, बेकार मिलेगा तुमको॥
 
मेरे साथी ने, शर्तों पे मुझसे प्यार किया,
कौन अब इतना, हुशियार मिलेगा तुमको॥

रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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