आज तक हैं खनखनाती, चूड़ियाँ ये आपकी,
मेरे मन को हैं लुभाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
मेरे मन को हैं लुभाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
इस कदर स्पर्श मेरा, हाथ तुमने था किया,
अब तलक हैं याद आती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
अब तलक हैं याद आती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
आज भी है याद मुझको, हाथ से चिपटी हुयीं,
किस तरह थी मुँह चिड़ाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
किस तरह थी मुँह चिड़ाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
रात जब काली घनी थी, चाँद भी था छुप गया,
ऐसे में थी झिलमिलाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
ऐसे में थी झिलमिलाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
जिस जगह मशहूर शायर, हो गए चुपचाप थे,
उस जगह थी गुनगुनाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
उस जगह थी गुनगुनाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
जिस घड़ी ये दिल हमारा, गम में था डूबा हुआ,
उस घड़ी थी मुस्कराती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
उस घड़ी थी मुस्कराती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
हर सितम मैंने तुम्हारा, सह लिया हँसते हुये,
कसे-कैसे जुल्म ढातीं, चूड़ियाँ ये आपकी॥
कसे-कैसे जुल्म ढातीं, चूड़ियाँ ये आपकी॥
ना ना सुनकर आपकी जब, लौटकर जाने लगा,
तब इशारों से बुलाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
तब इशारों से बुलाती, चूड़ियाँ ये आपकी॥
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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चूड़ियाँ ये आपकी
2122 2122 2122 212
जानेमन कितना सतातीं, चूड़ियां ये आपकी।
हर समय नखरे दिखातीं, चूड़ियाँ ये आपकी।
आज भी है याद मुझको, हाथ से चिपटी हुयीं,
किस तरह थीं मुँह चिड़ाती, चूड़ियाँ ये आपकी।
इस कदर स्पर्श मेरा, हाथ तुमने था किया,
अब तलक हैं याद आती, चूड़ियाँ ये आपकी।
रात जब काली घनी थी, चाँद भी छुपने लगा,
ऐसे में थीं झिलमिलाती, चूड़ियाँ ये आपकी।
जिस जगह मशहूर शायर, भी खड़े चुपचाप थे,
उस जगह थीं गुनगुनाती, चूड़ियाँ ये आपकी।
जिस समय ये दिल हमारा,गम में था डूबा हुआ,
उस समय थीं मुस्कराती, चूड़ियाँ ये आपकी।
हर सितम मैंने तुम्हारा, सह लिया हँसते हुये,
कैसे - कैसे जुल्म ढातीं, चूड़ियाँ ये आपकी।
आज भी वो ही तमन्ना, आज भी वो ही जुनून,
आज भी हलचल मचातीं, चूड़ियाँ ये आपकी।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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