Sunday, May 17, 2015

97 देगा डुबा गुरूर और ये जाम आपको

देगा डुबा गुरूर और ये जाम आपको,
छोड़ेगा करके एक दिन, नाकाम आपको॥
 
दौलत को पाया आपने, शोहरत को पा लिया,
फिर भी न रास आ रही, ये शाम आपको॥
 
दुनियाँ जो तुम से कह रही, वो मत कराइए,
ये ही करेंगे एक दिन, बदनाम आपको॥
 
लोगों की बात सुनके, न तोहमत लगाइए,
शोभा नहीं ये देता, इल्ज़ाम आपको॥
 
हर रोज़ सुबह शाम को, ताने न दीजिये,
क्यों इस कदर ये भा रहा, कोहराम आपको॥
 
अच्छा है क्या, बुरा क्या, इतना तो सोचिए,
मिलते हैं झूठे किसलिए, पैगाम आपको॥
 
होता नहीं गुनाह है, माँ-बाप की फिकर,
करना विरोध ठीक न, खुले आम आपको॥
 
कम खाकर जीना ज़िंदगी, मेरी फिलोसफ़ी,
मेरी फिलोसफ़ी से, क्या काम आपको॥
 
यह सोचकर के मैंने, आधी खुराक की,
कुछ तो मिलेगा किचन में, आराम आपको॥
 
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.