42. मटके में बंद मधु भी (गीतिका)
मटके में बंद मधु भी, इक दिन जहर बनेगा।
पोखर का ठहरा पानी, काई का घर बनेगा।
पोखर का ठहरा पानी, काई का घर बनेगा।
गम में यों मुँह छिपाना, कोई ज़िंदगी नहीं है,
जूझेगा मौत से, वो ही अमर बनेगा।
जूझेगा मौत से, वो ही अमर बनेगा।
कर्मों में कर्म जिसका, प्रथम है लोकहित,
इस हेतु विष पिये जो, वो ही तो हर बनेगा।
इस हेतु विष पिये जो, वो ही तो हर बनेगा।
हर एक तोप पर है, सामान ऐटमी अब,
जब भी दगेगी खंडहर, कोई शहर बनेगा।
जब भी दगेगी खंडहर, कोई शहर बनेगा।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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