84. बड़ा शौकीन होता है
सभी नर-नारियों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।
जिगर को चीर डालेंगी, अरे बच मुस्कराहट से,
तुझे लाचार कर देगीं, अरे बच खिलखिलाहट से,
अरे ये क़त्ल ना करतीं, कभी तलवार खंजर से,
हमेशा चाक दिल करतीं, अरे पैनी नज़र से ये,
छुपाकर हर तमन्ना को, अदब से चुप रहा करतीं,
नहीं तो कुवांरियों का दिल बड़ा शौकीन होता है।।
पटाया, रोम, सिंगापुर, उसे घूमन की चाहत है,
उसे लन्दन, उसे पेरिस, उसे इटली की चाहत है,
जिसे वो प्यार करती है, वो कंगाली में जीता है।
उसे मालूम है आशिक, फटेहाली में जीता है।
तभी तो वो ख्वाहिश को, कभी जाहिर नहीं करती।
नहीं तो प्रेमियों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
हमेशा ख्वाब देखा था, हो बीवी हंसनी जैसी, तमन्ना गुलबदन की थी, दिखे जो पद्मिनी जैसी,
उसे चाहत तो उसकी थी, हो जिसका फूल सा मुखड़ा,
मिली काली-कलूटी है, मिला नहिं चाँद का टुकड़ा,
अरे इस भाग्य के आगे, चला है जोर कब किसका।
नहीं तो सौहरों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
कभी ले जा के होटल में, हजारों खर्च करवाती, कभी जा पार्लर में ये, बदन अपना चमकवाती, चिपक कर जोंक की माफिक, बुरा ये हाल कर देतीं,
बड़ी मँहगी है फरमाइश, अजी कंगाल कर देतीं, जहाँ तक बच सको इनसे, वहाँ तक तुम बचे रहिये,
नहीं तो सालियों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
कभी बिजली, कभी पानी, कभी झाड़ू, कभी भाभी,
कभी छाता, कभी पेपर, कभी माचिस, कभी चाबी,
बहानों को बनाकर के, जो घर में रोज आता है।
सुबह और शाम को आकर, जो फेरे नित लगाता है।
नवेली फूल सी बीवी को, इससे तू बचाकर रख,
नहीं तो मनचलों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
नए जूते, नए कपड़ों को, उसका दिल किया करता,
कभी पिकनिक पे जाने को, उसका मन किया करता,
नयी गुड़िया, खिलौनों की, उसे भी चाह होती है,
मगर मेरी जेब खाली की, उसे परवाह होती है,
गरीबी देख कर मेरी, वो मुझसे जिद नहीं करती,
नहीं तो बच्चियों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
नये कंगन, नये झुमके, नयी नथनी, नयी साड़ी,
नया टीवी, नया ए.सी., नया बंगला, नयी गाड़ी।
उन्हें मालूम है ये सब, उन्हें हम दे नहीं सकते।
किसी तरह से इन ख्वाहिश को, पूरा कर नहीं सकते।
यही सब सोच करके वो, कोई ख्वाहिश नहीं करतीं।
नहीं तो बीबियों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
वो साँसों को कहे खुशुबू, वो शब्दों को गजल कहता,
कहे आँखों को मयखाना, वो चहरे को कमल कहता,
भवों को वो कहे खंजर, वो जुल्फों को कहे बादल,
मुझे वो ताज कहता है, औ'र खुद को कह रहा पागल,
हमें कुछ भी बनाने का, हमें सिर पर बिठाने का,
अजी इन शायरों का दिल, बड़ा शौकीन होता है।।
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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