पैसे के लिए आदमी, हर काम कर रहा,
पैसे के लिए सुबह को, भी शाम कर रहा॥
पैसे के लिए सुबह को, भी शाम कर रहा॥
पैसे के लिए सेठ ने, खोली दुकान है,
पैसे के लिए बेंचता, कोई मकान है,
पैसे के लिए शहद सी, मीठी जुबान है,
पैसे के पीछे भागता, सारा जहान है,
पैसे के लिए काम भी, हज्जाम कर रहा है॥
पैसे के लिए बेंचता, कोई मकान है,
पैसे के लिए शहद सी, मीठी जुबान है,
पैसे के पीछे भागता, सारा जहान है,
पैसे के लिए काम भी, हज्जाम कर रहा है॥
पैसा हो अगर जेब में, मिलता सलाम है,
पैसा नहीं तो आदमी, आमों में आम है,
कुछ भी करा लो काम, गर मुट्ठी में दाम है,
पैसा नहीं तो अक्ल भी, करती न काम है,
पैसे के कारण, हर कोई बदनाम कर रहा॥
पैसा नहीं तो आदमी, आमों में आम है,
कुछ भी करा लो काम, गर मुट्ठी में दाम है,
पैसा नहीं तो अक्ल भी, करती न काम है,
पैसे के कारण, हर कोई बदनाम कर रहा॥
खाली हो जेब पास न, आती है प्रेमिका,
पैसे को देख स्वर्ग से, आती है मेनका,
पैसा हो पास देखिये, रंगरूप मेम का,
पैसे से यारो घूमता, पहिया प्रेम का,
पैसे का स्तुतिगान हर इक धाम कर रहा॥
पैसे को देख स्वर्ग से, आती है मेनका,
पैसा हो पास देखिये, रंगरूप मेम का,
पैसे से यारो घूमता, पहिया प्रेम का,
पैसे का स्तुतिगान हर इक धाम कर रहा॥
पैसे की खातिर मंच पर, नंगी है नायिका,
भोड़े, छिछोड़े गीत को, गाती है गायिका,
नग्नता अब बन गई, साधन है आय का,
पैसों के बल पर लीजिये, जिस्मों का जायका,
नीचे से नीचा काम भी, अब दाम कर रहा है॥
भोड़े, छिछोड़े गीत को, गाती है गायिका,
नग्नता अब बन गई, साधन है आय का,
पैसों के बल पर लीजिये, जिस्मों का जायका,
नीचे से नीचा काम भी, अब दाम कर रहा है॥
पैसे से भरता पेट और मजबूत पीठ है,
पैसे के लिए कत्ल भी, करता खटीक है,
पैसा हो अगर गाँठ में, हर काम ठीक है,
पैसे की मार हर जगह, यारो सटीक है,
पैसा हरेक जहर को भी, जाम कर रहा॥
पैसे के लिए कत्ल भी, करता खटीक है,
पैसा हो अगर गाँठ में, हर काम ठीक है,
पैसे की मार हर जगह, यारो सटीक है,
पैसा हरेक जहर को भी, जाम कर रहा॥
सैलरी की शाम को, घर में कुशल, कुशल,
हँस-हँस के बीबी बोलती, चलती उछल, उछल,
मांगोगे जो भी चीज वो, मिलती है बेखलल,
हर ओर दिखती शांति, हर ओर कल ही कल,
पैसे के डर से शोरगुल, आराम कर रहा॥
हँस-हँस के बीबी बोलती, चलती उछल, उछल,
मांगोगे जो भी चीज वो, मिलती है बेखलल,
हर ओर दिखती शांति, हर ओर कल ही कल,
पैसे के डर से शोरगुल, आराम कर रहा॥
महीने के पहले पाँच दिन, चन्द्रमुखी लगे,
आगे के पाँच दिन में, सूरजमुखी लगे,
बाकी के बीस दिन में, ज्वालामुखी लगे,
तंगी में खूबसूरत, बीबी बुझी लगे,
अब तो हरेक शब्द है, कोहराम कर रहा॥
आगे के पाँच दिन में, सूरजमुखी लगे,
बाकी के बीस दिन में, ज्वालामुखी लगे,
तंगी में खूबसूरत, बीबी बुझी लगे,
अब तो हरेक शब्द है, कोहराम कर रहा॥
पैसा दिलाता आपको, बीबी का प्यार है,
पूरी, पराठा,खीर, घी, मिलता अचार है,
पैसा बगैर फूल भी, चुभता सा खार है,
पैसा नहीं तो ज़िंदगी, काँटों का हार है,
जीवन है तपती धूप, पैसा छाम कर रहा॥
पूरी, पराठा,खीर, घी, मिलता अचार है,
पैसा बगैर फूल भी, चुभता सा खार है,
पैसा नहीं तो ज़िंदगी, काँटों का हार है,
जीवन है तपती धूप, पैसा छाम कर रहा॥
पैसे की हबस, पेट की, या नए जिस्म की,
मिटती नहीं मिटाये, हो ये किसी किस्म की,
माना की पैसा जिंदगी में, बड़ी चीज है,
पर इसके लिए जानवर, बनना न ठीक है,
चहुँओर रोज़ पैसा, कत्लेआम कर रहा॥
मिटती नहीं मिटाये, हो ये किसी किस्म की,
माना की पैसा जिंदगी में, बड़ी चीज है,
पर इसके लिए जानवर, बनना न ठीक है,
चहुँओर रोज़ पैसा, कत्लेआम कर रहा॥
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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