धरा और इंसान की रक्षा, खेती औ हरियाली में।
मानव की पहिचान की रक्षा, खेती औ हरियाली में।
इंसां का हमशक्ल ठीक है, परखनली तरकीब ठीक है,
बुद्धि ठीक है, अक्ल ठीक है, तकनीकी हर चीज ठीक है,
लेकिन हर विज्ञान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
धरा छोडकर चाँद छू लिया, मंगल भी नजदीक हो गया,
नई-नई तकनीक खोज के, अब हर बिन्दु समीप हो गया,
लेकिन इस उत्थान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
पैगम्बर और बुद्ध ठीक हैं, ईसा, नानक, राम ठीक हैं,
मंदिर, मस्जिद, चर्च ठीक हैं, मानवता के काम ठीक हैं,
लेकिन हर भगवान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
गगन चूमते महल ठीक हैं, मोटरगाड़ी, सड़क ठीक है,
ज्ञान ठीक है, शान ठीक है, रोबीली हर कड़क ठीक है,
फिर भी हर अभिमान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
अस्पताल में मर्ज ठीक है, जान बचाना कर्म ठीक है,
सेवा करती नर्स ठीक है, लोगो मानव धर्म ठीक है,
लेकिन जीवनदान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
देश ठीक है, प्रांत ठीक है, नेताओं की मौज ठीक है,
युद्ध ठीक है, शांति ठीक है, यारो लड़ती फौज ठीक है,
लेकिन हिंदुस्तान की रक्षा, खेती औ हरियाली में॥
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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