Sunday, May 17, 2015

88 "उनसे सीखें तो हम क्या सीखें"

उनसे सीखें तो हम क्या सीखें,
जिनको जीने का है सऊर नहीं॥

उनको उस्ताद हम बनाए क्यों,
खास जिनमें है कुछ हुज़ूर नहीं॥

हमको वो रोशनी क्या देंगे,
जिनके चेहरे पे खुद ही नूर नहीं॥

हुश्न अच्छा है नाज़ अच्छा है,
इतना अच्छा है पर गुरूर नहीं॥

रंग तुझमें है, रूप तुझमें है,
पर तूँ औरत है कोई हूर नहीं॥

जितना दुनियाँ ने मान रक्खा है,
मेरा इतना तो है क़ुसूर नहीं॥

उनको वर्षों लगे हैं आने में,
मेरा घर था तो इतना दूर नहीं॥

रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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