बेवजह तारीफ को, करता फिरूँ मैं वो नहीं।
हर किसी की चाह में, मरता फिरूँ मैं वो नहीं।।
हर किसी की चाह में, मरता फिरूँ मैं वो नहीं।।
जानता हूँ सत्य पर चलना नहीं आसान है,
इस वजह से सत्य से, बचता फिरूँ मैं वो नहीं।।
इस वजह से सत्य से, बचता फिरूँ मैं वो नहीं।।
नारियों को भोगने की, लालसा मन में लिए,
हर सलोनी देह को तकता फिरूँ, मैं वो नहीं।।
हर सलोनी देह को तकता फिरूँ, मैं वो नहीं।।
सौ बरस की जिंदगी की कामना दिल में लिए,
रात दिन अपना उदर, भरता फिरूँ मैं वो नहीं।।
रात दिन अपना उदर, भरता फिरूँ मैं वो नहीं।।
मैं जलूँगा बस अँधेरा दूर करने के लिए,
धुआँ देने के लिए, जलता फिरूँ मैं वो नहीं।।
धुआँ देने के लिए, जलता फिरूँ मैं वो नहीं।।
थूक करके चाट लेना, है नहीं आता मुझे,
बुझदिली का काम ये, करता फिरूँ मैं वो नहीं।।
बुझदिली का काम ये, करता फिरूँ मैं वो नहीं।।
आखिरी क्षण तक जिऊँगा, शेर जैसी जिंदगी,
दृष्टि नीचे को झुका, जीता फिरूँ मैं वो नहीं।।
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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दृष्टि नीचे को झुका, जीता फिरूँ मैं वो नहीं।।
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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