Saturday, May 16, 2015

57 गीत मुझको बना, गुनगुना लीजिए

मापनी -212  212  212  212

गीत मुझको बना, गुनगुना लीजिए,
हूँ अधूरी गजल, मुझको गा लीजिए॥

तूँ जो चाहे तो मैं राग बन जाऊँगा,
अपने स्वर से मेरा स्वर मिला लीजिए॥

तूँ जो छू ले तो मैं बांसुरी से न कम,
अपने होंठों पे रखकर बजा लीजिए॥

स्याह काजल की किस्मत भी मंजूर है,
अपनी आँखों में मुझको बसा लीजिए॥

जो बनूँ फूल तो है ख्वाहिश यही,
अपने जूड़े में मुझको सजा लीजिए॥

मैं परिंदा हूँ एक चोट खाया हुआ,
अपने आँचल में मुझको छुपा लीजिए।।

आज हृदय हमारा है, बेकल बहुत,
अपने हृदय से मुझको लगा लीजिए।।

रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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