Sunday, May 17, 2015

86 रोशन जहां न होता, होती न नारियाँ

रोशन जहां न होता, होती न नारियाँ,
दुनियाँ चमन न होती, होती न नारियाँ,
वीरान घर ये लगते, होतीं न नारियाँ,
श्मशान दुनियाँ होती, होती न नारियाँ,
रब ने की अकलमंदी, भेजी जो नारियाँ॥

सेवों ने पकना सीखा, गालों को देखकर,
कुदरत ने चलना सीखा, चालों को देखकर,
फूलों ने खिलना सीखा, अधरों को देखकर,
बदली में आयी मस्ती, ज़ुल्फों को देखकर,
ये कौन सब सिखाता, होती न नारियाँ॥

सीने को चीर दें, डालें जो ये नज़र,
मजमा लगे वहाँ, निकले ये जिस डगर,
मैखाना झूम जाए, आँखों में वो असर,
दुनियाँ दीवानी कर लें, चाहें जो ये अगर,
ये कौन सब कराता, होती न नारियाँ॥

टीवी को आज केवल, इनका ही सहारा,
माडलिंग का इन बिन, होता न गुजारा,
मदिरा से नहीं बार में, इनसे है बहारां,
कैबरे का गर्त में, छुप जाता सितारा,
जाते कहाँ पे ये सब, होतीं न नारियाँ॥

हनुमान, श्रीकृष्ण और श्रीराम नहीं होते,
महावीर, बुद्ध, ईसा, बलराम नहीं होते,
रैदास, तुलसी, नानक, उपजे इन्हीं से हैं,
माँ, बहन, बेटी, प्रेमिका, जन्मीं इन्हीं से हैं,
बीबी कहाँ से मिलतीं, होतीं न नारियाँ॥ 
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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