सीमा प्रहरी, हे हिंदवीर, है नमन तुम्हारी भक्ती को।
माँ के मतवाले हे सपूत, है नमन तुम्हारी भक्ती को॥
उस जगह खौलता खून तेरा, जिस जगह नीर जम जाता है,
निर्जन, जंगल, बेहड़, पहाड़, सब में हँसकर जी जाता है,
है कोटि नमन तुझको तेरी, इस सहन करन की शक्ती को॥
वह धन्य कोख, वह धन्य वक्ष, जिससे उपजा, जिससे लिपटा,
वह धन्य गूदड़ी फटी हुई, जो ओढ़ के' सर्दी में सिमटा,
जिस जगह तेरा बचपन गुजरा, मैं नमन करूँ उस बस्ती को॥
दुश्मन की ओर से सरहद पर, जब भी कोई, गोली आती,
पहला सीना तेरा होता, जिस सीने से वो टकराती,
हे व्रजवक्ष, हे धैर्यवान, है नमन तुम्हारी हस्ती को॥
रणवीर सिंह (अनुपम), मैनपुरी (उप्र)
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