2212 1212 / 22 1212 (13/10)
कितने सवाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी,
क्या-क्या कमाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
जब से मुझे निगाह भर, देखा हुज़ूर ने,
तब से बे'हाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
दिल में घुसी कटार सी, दिनरात चुभ रहीं
हँस-हँस हलाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
आईं हैं' तब से है लगा, मजमा पड़ोस में,
कितना बवाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
मुर्दे भी' उठ के' कर उठें, जीने की' कामना,
सब को निहाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
वीरानगी में आगमन, से फूल खिल उठे,
जीवन बहाल कर रहीं, आँखें बड़ी-बड़ी।।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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