Monday, April 27, 2015

19 "ये तमाशा किसलिए"

मापनी-2122  2122    2122  212

आये' दिन ये दिन मनाने, का तमाशा किसलिए।
आधुनिक बनने-बनाने, का तमाशा किसलिए।।

इस तरह दिवसों के' भीतर, जिंदगी को ढूँढना,
रोज नासमझी दिखाने, का तमाशा किसलिए।।
 
आज माँ कल बीबियों का, बाप का परसों का' दिन
रिश्तों' की खिल्ली उड़ाने, का तमाशा किसलिए।।

चॉकलेटों के भी' दिन मनने लगे हैं आजकल,
बेबकूफी आजमानेे, का तमाशा किसकिए।।

प्यार का भी एक दिन, निश्चित किया है आपने,
जिस्म को यूँ लूट खाने, का तमाशा किसलिए।।
 
जिसके' ही अस्तित्व में, इस सृष्टि  का अस्तित्व है,
ऐसी' माँ का कद घटाने, का तमाशा किसलिए।।
 
कार्ड दे दो और कर दो, इतिश्री कर्त्तव्य की, 
इस तरह रिश्ते निभाने, का तमाशा किसलिए।।
 
रणवीर सिंह (अनुपम)
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