Monday, April 27, 2015

14 मेरे दिल की उलझन तुम्हारी ये जुल्फें

मेरे दिल की उलझन, तुम्हारी ये ज़ुल्फें,
करे रूप की, पहरेदारी ये ज़ुल्फें॥
 
लटकती लटें इनकी जादू बिखेरें,
बड़े ही हुनर से, सँवारी ये ज़ुल्फें॥
 
कभी बनके बदली, छुपा लेती चेहरा,
कभी चूमती मुख, प्यारी ये ज़ुल्फें॥
 
लिपट जाती गर्दन से, चंदन समझकर,
नागिन सी लगती, तुम्हारी ये ज़ुल्फें॥
 
हँस-हँस के फंदे में, आता फंसाना,
बड़ी बहुत शातिर, शिकारी ये ज़ुल्फें॥
 
कयामत ये ढाती जिगर पे हमारे,
लगें देखने में, बेचारी ये ज़ुल्फें॥
 
करें घाव ऐसा, नज़र भी न आए,
आरी है या फिर कटारी, ये ज़ुल्फें॥
 
कभी नींद छीनें, कभी चैन छीनें,
कभी दे बड़ा, बेकरारी ये ज़ुल्फें॥
रणवीर सिंह (अनुपम)
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