अगर मिलना ही है मुझसे, तो दुनियां को बताकर मिल।
मजा तब ही है मिलने में, सभी को यह जताकर मिल।।
मुलाकातें ही जो करनी, मिलें हम झाड़ियों में क्यों?
बुला ले अपने घर पर या, हमारे घर पे आकर मिल।।
बुला ले अपने घर पर या, हमारे घर पे आकर मिल।।
बताकर सारी सच्चाई, तू अपने घर पे, आया कर,
तुझे हर रोज समझाता, बहाने मत बनाकर मिल।।
तुझे हर रोज समझाता, बहाने मत बनाकर मिल।।
तुझे जिस रोज से देखा, मोहल्ला हो गया पागल,
कहीं बलवा न हो जाये, वहाँ मत रोज जाकर मिल।।
कहीं बलवा न हो जाये, वहाँ मत रोज जाकर मिल।।
कई हफ़्तों से लोगों में, हमारी हो रही चर्चा,
नसीहत है मेरी तुझको, तू सबसे बच-बचाकर मिल।।
नसीहत है मेरी तुझको, तू सबसे बच-बचाकर मिल।।
जो गाती है, तो गा ऐसे, जमाना झूम जाये ये,
तू अपने सुर्ख अधरों से, मिलन के गीत गाकर मिल।।
तू अपने सुर्ख अधरों से, मिलन के गीत गाकर मिल।।
गुलाबों सा तेरा चेहरा, नयन हिरनी से ये तेरे,
सुराही सी तेरी गर्दन, इन्हें यूँ मत झुकाकर मिल।।
सुराही सी तेरी गर्दन, इन्हें यूँ मत झुकाकर मिल।।
हमारे घर में आने में, लगा दीं तूने तो सदियाँ,
अगर अब आ गई ही है, तो नज़रों को मिलाकर मिल।।
अगर अब आ गई ही है, तो नज़रों को मिलाकर मिल।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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