Monday, April 27, 2015

18 सिंहनी हो आचरण फिर

सिंहनी हो, आचरण फिर, सिंहनी  जैसा करो।
हंसनी होकर  के'  कागों, संग  मत  घूमा करो।
आपकी यह आबरू है, जान  से  प्यारी  मगर।
झाड़ियों में स्यार के सँग, मत  उठा-बैठा करो॥ 

 रणवीर सिंह (अनुपम)
 *****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.