मे'रे दिल की'धड़कन, तुम्हारी ये आँखें,
मुझे लग रहीं जां, से' प्यारी ये आँखें॥
समुंदर की गहराई, को हैं समेटे,
किसी की हैं विरहा की, मारी ये आँखें॥
गयी रात फिर भी, खुमारी है बाकी,
ये बोझिल सी पलकें, क्वारी ये आँखें॥
मेरा चित्त, चितवन, चुरा ले गयीं हैं,
हुयी पार दिल के, कटारी ये आँखें॥
जिन्हें इक नज़र, देखना चाहे दुनिया,
लबालब हैं मधु से, न्यारी ये आँखें॥
उठता गया ज्यों ये, चेहरे से घूँघट,
झुकती गई त्यों, तुम्हारी ये आँखें॥
खुली आँखों में वो, नज़ारा है देखा,
खुली रह गयी फिर, हमारी ये आँखें॥
रणवीर सिंह (अनुपम)
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