हमारे पास आकर के, करो बातें न यूँ खाली।
अगर खाली ही करना है, करो गमगीन दिल खाली।।
बड़ी मुश्किल से मिल पाए, चलो कुछ देर अब बैठें,
हमें भी आज फुर्सत है, लगो तुम भी हमें खाली।।
तजुर्बेदार हम भी हैं, जहाँ हमने भी देखा है।
अरे कुछ काम भी करिये, बजाओ गाल मत खाली।।
फिकर दुनियाँ की कर-करके, हुए दिल खोखले अपने,
अजी ये छोड़िए दुनियाँ, न हम खाली, न तुम खाली।।
मुकद्दर ये नहीं है तो, अजी फिर और क्या है ये,
कोई महलों में जन्मा है, किसी को माँ मिली खाली।।
दिलों की बात सुनने की, जिन्हें फुर्सत न मिल पाई,
समय के देखिये करतब, वही बैठे हैं अब खाली।।
हमारे यार की महफ़िल में, सब खुशहाल दिखते थे,
अगर कोई जला है तो, जले महफ़िल में हम खाली।।
लगाकर सीने से बोतल, शराबी एक यों बोला,
अभी तूँ थी भरी-पूरी, अभी तूँ हो गई खाली।।
शरीफों के मोहल्ले में, उसी पर हो रही चर्चा,
किसी भूखे भिखारी ने, जो रोटी छीनकर खा ली।।
जिधर भी देखिये, हर ओर खाने में लगी दुनियाँ,
मगर कुछ हमसे हैं जिनने, न खाने की, कसम खाली।।
नदी, पर्वत, खदानों को, न जाने खा गए क्या-क्या,
वो कुछ भी खा-पचा सकते, जो हैं ईमान से खाली।।
हमारे पास जो भी है, चलो मिल-बाँटकर खा ले,
तुम्हारा पेट भी खाली, हमारा पेट भी खाली।।
नशीयत दे रहा तुमको, सुनो अह रहनुमा मेरे,
बहुत दिन तक गरीबों का, न रखिए पेट यों खाली।।
उदर की आग के आगे, किसी की एक न चलती,
गिराकर तख़्त से तुमको, करा दे तख़्त न खाली।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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