Monday, April 27, 2015

27 ठोंककर छाती कहो

प्रेम जो करते हो मुझसे, ठोंककर छाती कहो।
बात ये दुनियाँ तो जाने, ठोंककर छाती कहो।।
 
चाहते जो आप मुझसे, प्यार के इस खेल में,
माँग लो आकर के घर पे, ठोंककर छाती कहो।।
 
मनचला दिल गर गधी पर, आ गया तो सोच लो,
फिर निभा पाओगे रिश्ते, ठोंककर छाती कहो।।
 
और ये गर फट गया तो, घर तेरा बिक जायेगा,
क्या उठा पाओगे खर्चा, ठोंककर छाती कहो।।

देने को दे दूं तुझे मैं, चाहते जो यार तुम,
क्या सँभाले रख सकोगे, ठोंककर छाती कहो।।
 
राह काँटों से भरी है, हैं बहुत दुश्वारियां,
साथ मेरे चल सको तो, ठोंककर छाती कहो।।
 
बात मरने की नहीं मैं, जिंदगी की कर रहा
जी सको हर हाल में तो, ठोंककर छाती कहो।।
 
आ गया हूँ आज बिकने, अह खरीदारो सुनो,
मोल दे पाओ अगर तो, ठोंककर छाती कहो।।
 
किसमें ये सामर्थ्य है जो, सूर्य को रोशन करे,
है अगर औकात तो फिर, ठोंककर छाती कहो।।
 
अह पडोसी सब्र का मत, तुम मेरा इम्तहान लो,
युद्ध ही जो चाहते तो, ठोंककर छाती कहो।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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