Tuesday, July 30, 2019

817. राँड़ रड़ापो काट ले (कुंडलिया)

817. राँड़ रड़ापो काट ले (कुंडलिया)

राँड़  रड़ापो  काट ले, रसिक  न काटन  देंय।
कूद-कूद बिन बात पर, जाय-जाय सुध लेंय।
जाय-जाय सुध लेंय, छः दफा दिन में रड़ुआ।
तिरछी  माँग  निकार, ताक में रहते  भड़ुआ।
लोक-लाज नहिं उम्र, न  दीखे  इन्हें  बुढ़ापो।
ऐसे  में   किस  तरह, काट  ले  राँड़  रड़ापो।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.07.2019
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.