Monday, July 22, 2019

807. लोग भूख से मर रहे (कुंडलिया)

807. लोग भूख से मर रहे (कुंडलिया)

लोग भूख से मर रहे, मजा कर  रहा तंत्र।
कुछ ही यहाँ स्वतंत्र है, शेष सभी परतंत्र।
शेष  सभी परतंत्र, लगे हैं  मुँह  पर ताले।
था-था थैया  करें, मौज  में  दौलत  वाले।
सूख-सूख हो गए, नौजवां जले  रूख से।
सूखा बाढ़ अकाल, मर रहे लोग भूख से।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
22.07.2019
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