Sunday, July 07, 2019

794. सुख-चैन लिया निर्मोही ने (मुक्तक)

794. सुख-चैन लिया निर्मोही ने (मुक्तक)

सुख-चैन  लिया  निर्मोही ने, दिनरात सजन मोय तरसावे।
जबरन उर के पट खोल सखी, पिय हिय के भीतर घुस जावे।
जब-जब  मैं मन कि बात करूँ, बतियन से बालम बिलमावे।
अंतर में  उठती  हूक  यही, मम प्रेम  नजर  क्यों नहिं आवे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
07.07.2019
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.