810. मंदिर-मस्जिद में नहीं (कुंडलिया)
मंदिर-मस्जिद में नहीं, जो है मन के पास।
इन पर अब तो आजकल, रहा नहीं विश्वास।
रहा नहीं विश्वास, कैद कर रक्खे ईश्वर।
शब्दों में है जहर, शीश पर चढ़ा शनीचर।
बेमतलब की अकड़, पकड़कर बैठे हैं जिद।
गुमसुम से चुपचाप, खड़े हैं मंदिर-मस्जिद।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
24.07.2019
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