800. पंकज मुख श्यामल लटें (कुंडलिया)
पंकज मुख श्यामल लटें, गौरवर्ण ये गात।
गहरे दृग, रक्तिम अधर, मृदु मुस्कान सुहात।
मृदु मुस्कान सुहात, भाल पर बिंदी चमके।
मलयज बहे सुगंध, देह कुंदन-सी दमके।
नथनी, झुमके, हार, सभी लूटें अनुपम सुख।
पंकज रहा लजाय, देखकर यह पंकज मुख।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.07.2019
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