802. मेरे कल जो भक्त थे (कुंडलिया)
मेरे कल जो भक्त थे, अब हैं तेरे भक्त।
परसों होंगे और के, ये हैं वक्त-परस्त।
ये हैं वक्त-परस्त, वफादारी नहिं आती।
कन्नी लेते काट, मुसीबत जब पड़ जाती।
जो-जो मित्र घनिष्ठ, आज हैं तुझको घेरे।
आकर के कल फेरि, चाटिऐं तलवे मेरे।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.07.2019
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