Wednesday, July 17, 2019

802. मेरे कल जो भक्त थे (कुंडलिया)

802. मेरे कल जो भक्त थे (कुंडलिया)

मेरे कल  जो  भक्त थे, अब  हैं तेरे भक्त।
परसों  होंगे  और  के, ये  हैं वक्त-परस्त।
ये  हैं वक्त-परस्त, वफादारी  नहिं आती।
कन्नी लेते काट, मुसीबत जब पड़ जाती।
जो-जो मित्र घनिष्ठ, आज हैं तुझको घेरे।
आकर के कल  फेरि, चाटिऐं  तलवे मेरे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.07.2019
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