805. मंदिर की जिद मत करे (कुंडलिया)
मंदिर की जिद मत करे, तू है अरे अछूत।
नहीं उच्चकुल गोत्र है, नहिं सवर्ण का पूत।
नहिं सवर्ण का पूत, इसलिए हूँ समझाता।
जन्मजाति तू हीन, समझ में क्यों नहिं आता।
खाकर घूँसा-लात, भेंट मत चढ़ शातिर की।
ज्ञानचक्षु को खोल, छोड़ तू जिद मंदिर की।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
21.07.2019
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