789. आप उड़ाते खिल्लियाँ (कुंडलिया)
आप उड़ाते खिल्लियाँ, काहे रोज हुजूर।
क्यों सेठों के संग में, क्यों हमसे हो दूर।
क्यों हमसे हो दूर, समझते काहे अंधा।
उनसे चमकें आप, आप से उनका धंधा।
सिर्फ चुनावी दिनों, याद हम सब हैं आते।
वरना पाँचौ साल, खिल्लियाँ आप उड़ाते।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
06.07.2019
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