Monday, July 08, 2019

795. कभी राम के नाम पर (कुंडलिया)

795. कभी राम के नाम पर (कुंडलिया)

कभी राम के  नाम  पर, कभी  धर्म के नाम।
जग को ठगते लूटते, कर-कर  स्वाँग तमाम।
कर-कर स्वाँग तमाम, धर्म को रोज निचोड़ें।
जालिम  ढोंगी धूर्त, लाश तक  ये नहिं छोड़ें।
ये सब  लंपट दास, जिस्म के  और जाम के।
केवल  खुद के  हुए, हुए नहिं  कभी राम के।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
08.07.2019
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