Thursday, July 11, 2019

798. सरकारें आईं गयीं (कुंडलिया)

798. सरकारें आईं गयीं (कुंडलिया)

सरकारें  आईं   गयीं, बेड़ी   सकीं   न  काट।
दूरी  राजा-रंक  की, तिल भर  सकीं न पाट।
तिल भर सकीं न पाट, जाति-धर्मों की खाई।
उलटे  इनने   ऊँच-नीच   की   आग  लगाई।
न्याय कभी ना मिला, मिलीं केवल फटकारें।
सब  नेता   हैं  एक, एक  सी  सब  सरकारें।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
11.07.2019
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