Wednesday, July 17, 2019

803. तेरी जो यह भक्त है (कुंडलिया)

803. तेरी जो यह भक्त है (कुंडलिया)

तेरी  जो  यह  भक्त  है, कल  थी  मेरी भक्त।
मित्र  बदलने में  इसे, कभी न  लगता  वक्त।
कभी न लगता वक्त, वफ़ा इसने नहिं सीखी।
फितरत  इसकी मित्र, रही है  जोंक सरीखी।
कन्नी   लेगी  काट, एक   दिन   तुझसे  चेरी।
जो  मेरी   ना   हुई, भला  क्या   होगी  तेरी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.07.2019
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