Tuesday, January 01, 2019

667. कोई बालों पे लिखता है (मुक्तक)

667. कोई बालों पे लिखता है (मुक्तक)

कोई होंठों पे लिखता है, कोई  गालों पे लिखता है।
कोई चेहरे पे लिखता है, कोई  बालों पे लिखता है।
यही सब  रोज  लिखते हैं, हजारों  लोग  लिखते हैं।
मगर इक शख्स भी है जो, तेरे छालों पे लिखता है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
31.12.2018
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