681. सपनों में यूँ आना-जाना (मुक्तक)
सपनों में यूँ आना-जाना, मन में तड़प जगाता है।
अरे सामने आने में प्रिय, तुम्हरा क्या घिस जाता है।
दिल पर किसका जोर चला है, को काबू में रख पाया।
यह तो अपनी-अपनी किस्मत, कौन यहाँ क्या पाता है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
09.01.2019
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.