Wednesday, January 09, 2019

681. सपनों में प्रिय आना-जाना (मुक्तक)

681. सपनों में यूँ आना-जाना (मुक्तक)

सपनों  में  यूँ  आना-जाना,  मन  में तड़प जगाता है।
अरे सामने आने में प्रिय, तुम्हरा क्या घिस जाता है।
दिल पर किसका जोर चला है, को काबू में रख पाया।
यह तो अपनी-अपनी किस्मत, कौन यहाँ  क्या पाता है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
09.01.2019
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