692. जिसके कारण (कुंडलिया)
जिसके कारण होत है, नर तेरी उत्पत्ति।
जो जीवन पिरमेय की, होती है उपपत्ति।
होती है उपपत्ति, सृष्टि जिससे है चलती।
जिससे संतति वंश, बेल मानव की फलती।
जो सह दुष्कर कष्ट, कोख में करती धारण।
मत कर उसे ज़लील, जन्मता जिसके कारण।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.01.2019
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पिरमेय - प्रमेय
ज़लील-अपमानित
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