685. छप्पर पक्खा से कहे (कुंडलिया)
छप्पर पक्खा से कहे, दृढ़ रहना मम भ्रात।
किसे पता दंगाइये, कब दिखला दें जात।
कब दिखला दें जात, मजहबी नारे देकर।
भड़क उठे कब आग, धर्म-जातों को लेकर।
पता नहीं किस घड़ी, जल उठूँ जैसे खप्पर।
छोड़ न देना साथ, कहे पक्खा से छप्पर।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
10.01.2019
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पक्खा - कच्ची या पक्की ईंटों का खम्भा जिस पर छप्पर या छत टिकी होती है।
खप्पर - मिट्टी के कटोरेनुमा पात्र में आग की लपटों के साथ जलती हुई हवन सामिग्री।
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