696. घूँघट पीछे चंद्रमुख (कुंडलिया)
घूँघट पीछे चंद्रमुख, अधरन बिच मुस्कान।
श्याम चक्षु नीची नजर, एक दिन लेंगे जान।
इक दिन लेंगे जान, नैन दोऊ कजरारे।
उस पर ये रँग-रूप, देख दिल को नहिं हारे।
इधर नैन बेचैन, ताकते हैं अमृत घट।
उधर रूप-मकरंद, अकेले चाखे घूँघट।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.01.2019
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