Sunday, January 06, 2019

677. बेमतलब की फरमाइश सुन (मुक्तक)

677. बेमतलब की फरमाइश सुन (मुक्तक)

बेमतलब की फरमाइश सुन, कुछ गुस्सा आता  ही है।
यह भी सच है एक परी भर, खून  सूख  जाता  ही है।
पर तेरी कें-कें के कारण, अलग नहीं प्रिय हो सकता।
जीवन  भर  मैं  संग  रहूँगा, कुछ  ऐसा  नाता  ही  है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
06.01.2019
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677. बेमतलब की फरमाइश सुन (मुक्तक)

बेमतलब की  फरमाइश सुन, मन  में  गुस्सा आता है।
यह भी सच है इन बातों पर, खून सूख  प्रिय जाता है।
पर तेरी कें-कें के कारण, अलग नहीं प्रिय हो सकता।
जीवन  भर  मैं   संग  रहूँगा, अपना   ऐसा  नाता  है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
06.01.2019
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