677. बेमतलब की फरमाइश सुन (मुक्तक)
बेमतलब की फरमाइश सुन, कुछ गुस्सा आता ही है।
यह भी सच है एक परी भर, खून सूख जाता ही है।
पर तेरी कें-कें के कारण, अलग नहीं प्रिय हो सकता।
जीवन भर मैं संग रहूँगा, कुछ ऐसा नाता ही है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
06.01.2019
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677. बेमतलब की फरमाइश सुन (मुक्तक)
बेमतलब की फरमाइश सुन, मन में गुस्सा आता है।
यह भी सच है इन बातों पर, खून सूख प्रिय जाता है।
पर तेरी कें-कें के कारण, अलग नहीं प्रिय हो सकता।
जीवन भर मैं संग रहूँगा, अपना ऐसा नाता है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
06.01.2019
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