697. सजनी रजनी में खिला (कुंडलिया)
सजनी रजनी में खिला, शशि सा तेरा रूप।
आनन की आभा लगे, सूर्यमुखी पर धूप।
सूर्यमुखी पर धूप, चित्त को कौन सँभाले।
भ्रमर चक्षु ने हार, हिया कर दिया हवाले।
यौवन अरु लावण्य, और पूनम की रजनी।
तन में आग लगाय, रूप यह तेरा सजनी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.01.2019
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