Saturday, January 05, 2019

671. कर्तव्यों की बात अब (कुंडलिया)

671. कर्तव्यों की बात अब (कुंडलिया)

कर्तव्यों की  बात अब, सबको  लगे फ़िज़ूल।
हर  कोई  अधिकार  की, चर्चा  में   मशगूल।
चर्चा  में  मशगूल, बात  बस  अपनी  करता।
जो जितना चर पाय, देश को  उतना  चरता।
धूर्तों का गुणगान, बूझ  नहिं  इकलव्यों  की।
छल प्रपंच को शक्ल, मिल गयी कर्तव्यों की।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
05.01.2019
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