Friday, January 18, 2019

694.खिलती तो खिलाकर (मुक्तक)

694.खिलती तो खिलाकर (मुक्तक)

खिलती तो खिलाकर  खुलकर के, खिलने में  कोई दोष नहीं।
मिलती  तो  मिलाकर  हिरदय  से, मिलने  में  कोई  दोष नहीं।
अंतर  के   जख्म   छुपाकर  रख,  मत  खोल  जमाने  के आगे,
सिलना  जो  पड़े  तो  सिल  ले  तू, सिलने  में  कोई  दोष  नहीं।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
18.01.2019
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