698. पिया न आये लौटकर (कुंडलिया)
पिया न आए लौटकर, पल-पल देखूँ राह।
कंडे-सी सुलगूँ जरूँ, हिय से उठे कराह।
हिय से उठे कराह, जिया मिलने को तरसे।
नैनन बरसे नीर, लगे ज्यों सावन बरसे।
भोर, दोपहर, साँझ, रात, नित आए-जाए।
पिय बिन पीली भई, लौटकर पिया न आए।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
21.01.2019
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