Monday, January 21, 2019

698. पिय नहिं आये लौटकर (कुंडलिया)

698. पिया न आये लौटकर (कुंडलिया)


पिया न आए  लौटकर, पल-पल  देखूँ  राह। 

कंडे-सी  सुलगूँ  जरूँ, हिय  से  उठे  कराह। 

हिय से उठे  कराह, जिया मिलने  को तरसे।

नैनन  बरसे  नीर, लगे  ज्यों   सावन  बरसे।

भोर, दोपहर, साँझ,  रात, नित  आए-जाए। 

पिय बिन पीली भई, लौटकर पिया न आए।

रणवीर सिंह 'अनुपम'

21.01.2019

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