Wednesday, October 21, 2015

128. हमारे घाव की पीड़ा

हमारे  घाव   की  पीड़ा, हमीं  को  यार सहने  दो,
न आकर छेड़िये इनको, इन्हें  रिसने दो' बहने दो,
तुम्हारा  खेल   है  सारा,  मुझे  मालूम  है  साहब,
करो अब  बंद  नौटंकी,  इसे  अब  यार रहने दो।।


रणवीर सिंह (अनुपम)
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