नोकझोंक
नंदलाल घेरो जब, राधारानी कहे तब,
माँग-माँग दधि खात, नेकु न लजात हो।
रोज-रोज तंग करौ, काहे मान भंग करौ,
गोपियों पे काहे ऐसे, रौब को जमात हो।
बहियाँ को छोड़ों श्याम, ऐसे न मरोड़ो श्याम,
नाजुक कलाई मेरी, काहे ऐंठे जात हो।
कछु तो लिहाज करो, प्रीत की तो लाज करो,
अपनी सखी को कान्हा, कहे यूँ सतात हो।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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