Sunday, October 04, 2015

108 श्वेत चीर  धारणी माँ (कवित्त)

कुछ  घनाक्षरी

सरस्वती  वंदना (कवित्त)

श्वेत चीर धारणी माँ, श्वेत हंस वाहिनी माँ,
मातु मेरे हृदय को, श्वेत कर दीजिए।।

दूर अँधियारा करूँ, जग में उजारा करूँ,
एक-एक शब्द में माँ, ज्योति भर दीजिए।।

सच को मैं सच लिखूँ,  दृढ़ता से लिख सकूँ,
लेखनी में मेरी ऐसी, धार धर दीजिए।।

सच मूल मंत्र रहे, लेखनी स्वतन्त्र रहे,
देना है तो मातु मुझे, यही वर दीजिए।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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