Thursday, October 22, 2015

130. मुखौटा राम का ओढ़े

मुखौटा राम का ओढ़े, मगर अंतर में' रावन है।
हजारो जल चुके पुतले, हुई धरती न पावन है।
लगा दरवार रहता है, यहाँ नित धर्मगुरुओं का,
घिनौने कृत्य हैं इनके, धरम चर्चा लुभावन है।।

रणवीर सिंह(अनुपम)
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