लूटकर, दिल ले गई है, मुस्कराहट आपकी।
कर गयी बेहाल मुझको, मुस्कराहट आपकी।।
कुछ नहीं है याद तब से, भेंट जब से है हुई,
होश सारा ले गई है, मुस्कराहट आपकी।।
आपकी बातों में पड़ना, चाहता था ही नहीं,
किन्तु दिल को भा गई है, मुस्कराहट आपकी।।
कौन सी खूबी दिखी इस, सिरफिरे में ये बता,
दे रही है जो निमंत्रण, मुस्कराहट आपकी।।
आज तक खुद्दारियों पर, जो बड़ा मगरूर था,
कर गई लाचार उसको, मुस्कराहट आपकी।।
सच कहूँ तो यार हम तो, बिक गए बेदाम के,
और क्रय जिसने किया वो, मुस्कराहट आपकी।
काम जो तलवार तीरों, से हुआ अब तक नहीं,
कर गई वो काम सारे, मुस्कराहट आपकी।।
आपकी मदहोश नज़रें, हैं क़यामत ढा रहीं,
मोहनी बन छा गई है, मुस्कराहट आपकी।।
सौंप डाला आज खुद को, यार तेरे हाथ में,
अब जियाये या मराये, मुस्कराहट आपकी।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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