Sunday, October 04, 2015

106. जब से है देखा तुझे (कवित्त)


जब से है देखा तुझे, तब से न होश मुझे,       
समझा रहे हैं लोग, दवा-दारू लीजिये।।

कितने गुजारे साल, अब तो बुरा है हाल,
कुछ तो रहम करो, कुछ तो पसीजिये।।

मिलो तो सुकून मिले, मन का प्रसून खिले,
मुरझा हुआ है दिल, कुछ ख्याल कीजिये।।

मन में उछाल वही, अब भी सवाल वही, 
चाह तेरे हाथ की है, लीजिये या दीजिये।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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