सौंदर्य
अँखियों में नेह लिए, कदली सी देह लिए,
पतली कमर कैसे, मुड़-मुड़ जात है।
काली लट झूम रही, गाल-मुख चूम रही,
झीनी ये चुनर धानी, उड़-उड़ जात है।
रूप औ सिंगार देख, गले बीच हार देख,
प्यारी सखि जर-जर, कुड़-कुड़ जात है।
हृदय में आह लिए, मिलने की चाह लिए,
मेरा दिल टूट-टूट, जुड़-जुड़ जात है।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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