Sunday, October 18, 2015

117. अँखियों में नेह लिए (कवित्त)

सौंदर्य

अँखियों में नेह लिए, कदली सी देह लिए,
पतली कमर कैसे, मुड़-मुड़ जात है।

काली लट झूम रही, गाल-मुख चूम रही,
झीनी ये चुनर धानी, उड़-उड़ जात है।

रूप औ सिंगार देख, गले बीच हार देख,
प्यारी सखि जर-जर, कुड़-कुड़ जात है।

हृदय में आह लिए, मिलने की चाह लिए,
मेरा दिल टूट-टूट, जुड़-जुड़ जात है।। 

रणवीर सिंह (अनुपम)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.