सावधान
बार-बार तुमको मैं, करता हूँ सावधान,
नाजुक ये नन्ही डाल, और न लचाइये।
कुशल, अमन और, देश की फिकर है जो,
शोषितों-गरीबों को न, ऐसे यूँ सताइये।
चाहते बचाना गर, आलीशान महलों को,
कृषकों के खेत और, झोपड़ी बचाइये।
देखना जो चाहते हो, देश को शिखर पे तो,
भारत औ इंडिया का, अंतर मिटाइये।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.