Sunday, October 04, 2015

102 तेरी आँख का गर इशारा न होता

मापनी-122   122    122    122

ते'री आँख का जो इशारा न होता।
हमें ये जहाँ फिर गवारा न होता।।

मे'रे आँसुओं की ही' तासीर है ये,
नहीं तो समुन्दर ये' खारा न होता।।

अगर हम से' आशिक न होते यहाँ पर,
हसीनों तुम्हारा गुजारा न होता।।

किसे देखती आँख मल-मल के' दुनियाँ?
अगर तुमको' हमने निखारा न होता।।

हमीं से तुम्हारे जहाँ में है' रौनक,
हमारे बिना ये नज़ारा न होता।।

कयामत धरा पर कभी यूं न आती,
अगर हुश्न को यूँ सँवारा न होता।

अरे नासमझ डूबना चाहता क्यों?
मुहब्बत में कोई किनारा न होता।।

यहाँ चाक दिल खुद ही' सिलना पड़ेगा,
सिवा इसके कोई भी' चारा न होता।।

ते'री बात 'अनुपम' अगर मान लेता,
हुआ हादसा फिर दुवारा न होता।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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